हेट स्पीच मामले में दिल्ली पुलिस को बेहतर हलफनामा दायर करने लिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश, दो जजों की बेंच ने जताई नाराजगी

हेट स्पीच मामले में दिल्ली पुलिस को बेहतर हलफनामा दायर करने लिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश, दो जजों की बे
दिल्ली। दिल्ली धर्म संसद मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। इसी दौरान आज शुक्रवार को हेट स्पीच पर दिल्ली पुलिस के हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है और दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई है।
"बेहतर हलफनामा" दाखिल करने का दिया निर्देश :
दरअसल, दिल्ली धर्म संसद मामले में सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस की ओर से पिछले सप्ताह हलफनामा दायर किया गया था, जिसमें कहा था कि, ''पिछले साल दिसंबर में दिल्ली धर्म संसद में कोई हेट स्पीच (Hate Speech) नहीं दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा दायर इसी हलफनामे पर नाराजगी जाहिर कर "बेहतर हलफनामा" दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसके लिए दो हफ्ते का समय देते हुए 4 मई तक नया हलफनामा दाखिल करने को कहा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी।
जस्टिस एएम खानविलकर और ए एस ओका की बेंच ने दिल्ली पुलिस से पूछा, “हम यह जानना चाहते हैं कि वरिष्ठ अधिकारी इस हलफनामे को दाखिल करने से पहले अन्य पहलुओं की बारीकियों को समझ गए हैं? क्या उन्होंने केवल एक जांच रिपोर्ट का पुनरुत्पादन किया है या अपना दिमाग लगाया है? क्या आप फिर से देखना चाहते हैं?" इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली पुलिस के हलफनामे पर सवाल उठाते हुए यह भी पूछा है कि, ''ये सिर्फ जांच अफसर की रिपोर्ट है या फिर पुलिस कमिश्नर और DCP का भी ये ही स्टैंड है?''
तो वहीं, सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने भी दिल्ली पुलिस के हलफनामे पर सवाल उठाते हुए कहा कि, दिल्ली पुलिस आयुक्त का कहना है कि जांच की गई है और उन्होंने क्लीन चिट दे दी है। इसे सही ठहराया है, जांच की गई और कोई अपराध नहीं पाया गया। गोविंदपुरी में हेट स्पीट की जांच में कहा गया है कि, ऐसे शब्दों का कोई उपयोग नहीं है, जिनका अर्थ या व्याख्या की जा सकती है कि, मुसलमानों की जातीय सफाई या एक पूरे समुदाय की हत्या के लिए एक खुला आह्वान किया गया, उनका मकसद समुदाय की नैतिकता को बचाना था।